"याहया खान के नाम खत / उदयप्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर
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ये प्रमाणों की सचाई है निरी शेखी नहीं है | ये प्रमाणों की सचाई है निरी शेखी नहीं है | ||
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कि तुमने हिंद की नारी अभी देखी नहीं है | कि तुमने हिंद की नारी अभी देखी नहीं है | ||
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चलो माना कि नारी फूल-सी सुकुमार होती है | चलो माना कि नारी फूल-सी सुकुमार होती है | ||
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पयोधर है, सलिल है, अश्रु है, रसधार होती है । | पयोधर है, सलिल है, अश्रु है, रसधार होती है । | ||
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सुकोमल भावनाओं का सफल व्यापार होती है | सुकोमल भावनाओं का सफल व्यापार होती है | ||
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सभी सुन्दर गुणों का वह अतुल भंडार होती है | सभी सुन्दर गुणों का वह अतुल भंडार होती है | ||
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मगर इस देश में वह शक्ति का अवतार होती है | मगर इस देश में वह शक्ति का अवतार होती है | ||
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गले में मुंड उसके हाथ में तलवार होती है । | गले में मुंड उसके हाथ में तलवार होती है । | ||
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भवानी है चतुर्भुज सिंह पर असवार होती है | भवानी है चतुर्भुज सिंह पर असवार होती है | ||
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सुशोभित दाहिने उसके विजय साकार होती है | सुशोभित दाहिने उसके विजय साकार होती है | ||
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हमें इस रूप की गरिमा तभी स्वीकार होती है | हमें इस रूप की गरिमा तभी स्वीकार होती है | ||
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कि जब दुष्टों के सीने से वह बर्छी पार होती है । | कि जब दुष्टों के सीने से वह बर्छी पार होती है । | ||
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हमारे देश में नारी का ये आदर्श है प्यारे ! | हमारे देश में नारी का ये आदर्श है प्यारे ! | ||
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ये तुम क्यों भूल जाते हो, ये भारतवर्ष है प्यारे ! | ये तुम क्यों भूल जाते हो, ये भारतवर्ष है प्यारे ! | ||
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कि जिसके नाम पे ये नाम भारतवर्ष रखा है | कि जिसके नाम पे ये नाम भारतवर्ष रखा है | ||
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उसी ने जिंदगी का नाम भी संघर्ष रखा है । | उसी ने जिंदगी का नाम भी संघर्ष रखा है । | ||
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निर्जन बीहड़ों की कन्दराओं से गुजरता था | निर्जन बीहड़ों की कन्दराओं से गुजरता था | ||
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जबड़े खोलकर शेरों के वह खिलवाड़ करता था | जबड़े खोलकर शेरों के वह खिलवाड़ करता था | ||
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उसके सामने यमराज आकर क्रम ठहरता था | उसके सामने यमराज आकर क्रम ठहरता था | ||
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ऐसा शेर जिसका दूध पीकर पेट भरता था । | ऐसा शेर जिसका दूध पीकर पेट भरता था । | ||
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भले औरत रही हो शेरनी से कम नहीं होगी | भले औरत रही हो शेरनी से कम नहीं होगी | ||
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तुम्हारे ख्वाब की नाज़ुक गुलो-शबनम नहीं होगी | तुम्हारे ख्वाब की नाज़ुक गुलो-शबनम नहीं होगी | ||
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अगर ये बात कोई और कहता तो गनीमत थी | अगर ये बात कोई और कहता तो गनीमत थी | ||
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तुम्हारी माँ भी हिंदुस्तान की ही एक औरत थी । | तुम्हारी माँ भी हिंदुस्तान की ही एक औरत थी । | ||
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अगर तुम पूछते उससे तो वो शायद बता देती | अगर तुम पूछते उससे तो वो शायद बता देती | ||
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हमारे देश की अबलाओं के बल का पता देती | हमारे देश की अबलाओं के बल का पता देती | ||
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कि हिंदुस्तान की नारी भी हिंदुस्तान होती है | कि हिंदुस्तान की नारी भी हिंदुस्तान होती है | ||
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तुम्हारे जैसे मर्दों से कहीं बलवान होती है । | तुम्हारे जैसे मर्दों से कहीं बलवान होती है । | ||
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चुनौती शत्रु की ललकार कर यदि उसको दी जाए | चुनौती शत्रु की ललकार कर यदि उसको दी जाए | ||
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चबा के हड्डियां दुश्मन की उसका खून पी जाए | चबा के हड्डियां दुश्मन की उसका खून पी जाए | ||
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गवाही तुमको मिल जाए हमारी इस कहानी की | गवाही तुमको मिल जाए हमारी इस कहानी की | ||
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अगर तुम देख लो तस्वीर भी झाँसी की रानी की । | अगर तुम देख लो तस्वीर भी झाँसी की रानी की । | ||
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समर में हींसते दो पैर घोड़े पर तनी बैठी | समर में हींसते दो पैर घोड़े पर तनी बैठी | ||
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कि जैसे हाथ में तलवार लेकर शेरनी बैठी | कि जैसे हाथ में तलवार लेकर शेरनी बैठी | ||
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प्रभंजन देहधारी पर प्रलय साकार लगती है | प्रभंजन देहधारी पर प्रलय साकार लगती है | ||
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प्रबल भूडोल को दाबे भयंकर ज्वार लगती है । | प्रबल भूडोल को दाबे भयंकर ज्वार लगती है । | ||
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कि अपने प्राण देने के लिए तैयार लगती है | कि अपने प्राण देने के लिए तैयार लगती है | ||
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घमंडी शत्रु की गरदन पे खाए खार लगती है | घमंडी शत्रु की गरदन पे खाए खार लगती है | ||
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अभी इस श्रंखला में और भी कड़ियाँ गिनानी हैं | अभी इस श्रंखला में और भी कड़ियाँ गिनानी हैं | ||
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वो पन्ना, चाँदबीबी, पद्मिनी, हाड़ा की रानी हैं । | वो पन्ना, चाँदबीबी, पद्मिनी, हाड़ा की रानी हैं । | ||
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वो मरते मर गईं लेकिन अमर इतिहास है उनका | वो मरते मर गईं लेकिन अमर इतिहास है उनका | ||
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है पौरुष उनका आभारी, पराक्रम दास है उनका | है पौरुष उनका आभारी, पराक्रम दास है उनका | ||
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इसी स्वर्णिम कड़ी में इंदिरा का नाम आता है | इसी स्वर्णिम कड़ी में इंदिरा का नाम आता है | ||
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अगर चाहो तो कर लो याद, अक्सर काम आता है । | अगर चाहो तो कर लो याद, अक्सर काम आता है । | ||
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जिसे समझे हो साधारण असाधारण न बन जाए | जिसे समझे हो साधारण असाधारण न बन जाए | ||
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यही औरत तुम्हारी मौत का कारण न बन जाए । | यही औरत तुम्हारी मौत का कारण न बन जाए । |
19:34, 9 अक्टूबर 2010 का अवतरण
ये प्रमाणों की सचाई है निरी शेखी नहीं है
कि तुमने हिंद की नारी अभी देखी नहीं है
चलो माना कि नारी फूल-सी सुकुमार होती है
पयोधर है, सलिल है, अश्रु है, रसधार होती है ।
सुकोमल भावनाओं का सफल व्यापार होती है
सभी सुन्दर गुणों का वह अतुल भंडार होती है
मगर इस देश में वह शक्ति का अवतार होती है
गले में मुंड उसके हाथ में तलवार होती है ।
भवानी है चतुर्भुज सिंह पर असवार होती है
सुशोभित दाहिने उसके विजय साकार होती है
हमें इस रूप की गरिमा तभी स्वीकार होती है
कि जब दुष्टों के सीने से वह बर्छी पार होती है ।
हमारे देश में नारी का ये आदर्श है प्यारे !
ये तुम क्यों भूल जाते हो, ये भारतवर्ष है प्यारे !
कि जिसके नाम पे ये नाम भारतवर्ष रखा है
उसी ने जिंदगी का नाम भी संघर्ष रखा है ।
निर्जन बीहड़ों की कन्दराओं से गुजरता था
जबड़े खोलकर शेरों के वह खिलवाड़ करता था
उसके सामने यमराज आकर क्रम ठहरता था
ऐसा शेर जिसका दूध पीकर पेट भरता था ।
भले औरत रही हो शेरनी से कम नहीं होगी
तुम्हारे ख्वाब की नाज़ुक गुलो-शबनम नहीं होगी
अगर ये बात कोई और कहता तो गनीमत थी
तुम्हारी माँ भी हिंदुस्तान की ही एक औरत थी ।
अगर तुम पूछते उससे तो वो शायद बता देती
हमारे देश की अबलाओं के बल का पता देती
कि हिंदुस्तान की नारी भी हिंदुस्तान होती है
तुम्हारे जैसे मर्दों से कहीं बलवान होती है ।
चुनौती शत्रु की ललकार कर यदि उसको दी जाए
चबा के हड्डियां दुश्मन की उसका खून पी जाए
गवाही तुमको मिल जाए हमारी इस कहानी की
अगर तुम देख लो तस्वीर भी झाँसी की रानी की ।
समर में हींसते दो पैर घोड़े पर तनी बैठी
कि जैसे हाथ में तलवार लेकर शेरनी बैठी
प्रभंजन देहधारी पर प्रलय साकार लगती है
प्रबल भूडोल को दाबे भयंकर ज्वार लगती है ।
कि अपने प्राण देने के लिए तैयार लगती है
घमंडी शत्रु की गरदन पे खाए खार लगती है
अभी इस श्रंखला में और भी कड़ियाँ गिनानी हैं
वो पन्ना, चाँदबीबी, पद्मिनी, हाड़ा की रानी हैं ।
वो मरते मर गईं लेकिन अमर इतिहास है उनका
है पौरुष उनका आभारी, पराक्रम दास है उनका
इसी स्वर्णिम कड़ी में इंदिरा का नाम आता है
अगर चाहो तो कर लो याद, अक्सर काम आता है ।
जिसे समझे हो साधारण असाधारण न बन जाए
यही औरत तुम्हारी मौत का कारण न बन जाए ।