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"गलती हुई होगी / उदयप्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर
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हमारे घर की दीवारों में अनगिनत दरारें हैं | हमारे घर की दीवारों में अनगिनत दरारें हैं | ||
− | + | सुनिश्चित है कहीं बुनियाद में ग़लती हुई होगी । | |
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क़ुराने पाक, गीता, ग्रन्थ साहिब शीश धुनते हैं | क़ुराने पाक, गीता, ग्रन्थ साहिब शीश धुनते हैं | ||
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हमारे भाव के अनुवाद में गलती हुई होगी । | हमारे भाव के अनुवाद में गलती हुई होगी । | ||
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जो सब कुछ जल गया फिर राख से सीखें तो क्या सीखें, | जो सब कुछ जल गया फिर राख से सीखें तो क्या सीखें, | ||
− | + | हवा और आग के संवाद में ग़लती हुई होगी । | |
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हमारे पास सब कुछ है मगर दुर्भाग्य से हारे | हमारे पास सब कुछ है मगर दुर्भाग्य से हारे | ||
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कहीं अंदर से चिनगारी कहीं बाहर से अंगारे । | कहीं अंदर से चिनगारी कहीं बाहर से अंगारे । | ||
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गगन से बिजलियाँ कडकी धारा से ज़लज़ले आए | गगन से बिजलियाँ कडकी धारा से ज़लज़ले आए | ||
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यही क्या कम हैं हम इतिहास से जीवित चले आए । | यही क्या कम हैं हम इतिहास से जीवित चले आए । | ||
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हमारे अधबने इस नीड़ का नक्शा बताता है | हमारे अधबने इस नीड़ का नक्शा बताता है | ||
− | + | कि कुछ प्रारंभ में कुछ बाद में ग़लती हुई होगी । | |
− | कि कुछ प्रारंभ में कुछ बाद में | + | </poem> |
03:15, 10 अक्टूबर 2010 का अवतरण
हमारे घर की दीवारों में अनगिनत दरारें हैं
सुनिश्चित है कहीं बुनियाद में ग़लती हुई होगी ।
क़ुराने पाक, गीता, ग्रन्थ साहिब शीश धुनते हैं
हमारे भाव के अनुवाद में गलती हुई होगी ।
जो सब कुछ जल गया फिर राख से सीखें तो क्या सीखें,
हवा और आग के संवाद में ग़लती हुई होगी ।
हमारे पास सब कुछ है मगर दुर्भाग्य से हारे
कहीं अंदर से चिनगारी कहीं बाहर से अंगारे ।
गगन से बिजलियाँ कडकी धारा से ज़लज़ले आए
यही क्या कम हैं हम इतिहास से जीवित चले आए ।
हमारे अधबने इस नीड़ का नक्शा बताता है
कि कुछ प्रारंभ में कुछ बाद में ग़लती हुई होगी ।