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"ख खेलें / लोग ही चुनेंगे रंग" के अवतरणों में अंतर

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14:41, 10 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण


खराब ख
ख खुले
खेले राजा
खाएँ खाजा.

खराब ख
की खटिया खड़ी
खिटपिट हर ओर
खड़िया की चाक
खेमे रही बाँट.

खैर खैर
दिन खैर
शब खैर.