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"कब से / लोग ही चुनेंगे रंग" के अवतरणों में अंतर

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14:51, 10 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण


अँधेरे में
दो छोटी मोमबत्तियाँ
आधी जलीं
पतंगों से खिलवाड़ करती चलीं

एक रेत पर बैठी हाथ लहरा रही
लहरें उमड़तीं आ रहीं
दूसरी बैठी उसे एकटक निहार रही

एक की लौ इस वक्त आसमान
दूसरी नाच रही मदमत्त
साथ हवा साँ साँ

लौ, लपटें और बहाव
कब से, कब से!