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"मनस्थिति-1 / लोग ही चुनेंगे रंग" के अवतरणों में अंतर

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15:17, 10 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण


आवाजें दूर से
शोरगुल
गाड़ी बस, खेलते लड़के
गपशप में मशगूल लोग-बाग
थोड़ी देर पहले एक दुखी इन्सान देखा है
बदन में कहीं कुछ दुख रहा इस वक्त
सबकुछ इसलिए कि आवाजें पहुँचती हैं

कोई आसान तरीका नहीं उस गहरी नींद का
जिसमें सारी आवाजें समा जाती हैं

सुख दुख का असमान समीकरण
बार बार आवाजों की विलुप्ति चाहता है.

सभी आवाजें बेचैन
कैसे? कैसे?