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"पगडंडी / आलोक धन्वा" के अवतरणों में अंतर
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12:50, 11 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
वहाँ घने पेड़ हैं
उनमें पगडंडियाँ जाती हैं
ज़रा आगे ढलान शुरू होती है
जो उतरती है नदी के किनारे तक
वहाँ स्त्रियाँ हैं
घास काटती जाती हैं
आपस में बातें करते हुए
घने पेड़ों के बीच से ही उनकी
बातचीत सुनायी पड़ने लगती है।
(1996)