भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ तो मिला है आँखों के दरिया खंगाल के / संजय मिश्रा 'शौक'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna}} रचनाकार=संजय मिश्रा शौक संग्रह= …)
(कोई अंतर नहीं)

23:59, 16 अक्टूबर 2010 का अवतरण

                  रचनाकार=संजय  मिश्रा शौक   
                  संग्रह=
                  }}
                  साँचा:KKCatgazal


कुछ तो मिला है आँखों के दरिया खंगाल के
लाया हूँ इनसे फिक्र के मोती निकाल के

हमने भी ढूंढ ली है जमीं आसमान पर
रखना है हमको पाँव बहुत देखभाल के

बच्चा दिखा रहा था मुझे जिन्दगी का सच
कागज़ की एक नाव को पानी में डाल के

उम्मीद के दिए में भरा सांस का लहू
जंगल सा एक ख्वाब का आँखों में पाल के

बुझते हुए दीयों को पिलाया है खूने-दिल
मिलते कहाँ हैं लोग हमारी मिसाल के