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"कोई तो हा / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर
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01:56, 24 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
आं ईंटां रै
ठीक बिचाळै
पड़ी आ
काळी माटी नीं
राख है चूल्है री
जकी ही काळीबंगा में
कदै’ई चेतन
चुल्लै माथै
कदै’ई तो
सीजतो हो
खदबद खीचड़ो
कोई तो हा हाथ
जका परोसता
घालता पळियै सूं घी
भेळा जीमता
टाबरां नै ।