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"कविता / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर
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01:57, 24 अक्टूबर 2010 का अवतरण
कविता
न तो लिखीजै
अर
न बांचीजै ।
कविता
इन्नै-उन्नै
खिंडियोड़ी
अबखायां रै अंगारां नै
आपरै अंतस मांय भेळ
बुझावण री
एक क्रिया है
इण मांय
बळण री संभावना जादा है
बचण सूं ।
इणी क्रिया नै
उथळ’र
आपरै मांय
मै’सूस करण रो नाम
कविता रो
बांचिजणो ।
इसै समै
कविता बांचणो
अनै लिखणो
किणी जुद्ध सूं स्यात ई कम हुवै
कुण है जिकै मांय इण जुद्ध नै
जीतणै रो दम हुवै ।
