भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दूब / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)
(कोई अंतर नहीं)

17:23, 24 अक्टूबर 2010 का अवतरण

हरी दूब के ऊपर कोई
साँप रात भर लोटा;
दबती रही,
मगर दबकर भी-
उठ भिंसारे
नए बाल-रवि का मुँह देखा।

रचनाकाल: ०६-१०-१९६१