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"पुंज-पुंज संजीवन बरसे / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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ताप हताहत, दाप दमनकर
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पुंज पुंज संजीवन बरसे।
  
 
'''रचनाकाल: ०१-११-१९९६'''
 
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17:27, 24 अक्टूबर 2010 का अवतरण

घनन घनन सावन घन बरसे
जड़ में ज्ञान
गान चेतन में
तन में प्राण-प्रलोभन बरसे।

ताप हताहत, दाप दमनकर
चाप-चढ़ा-संताप शमन कर
भूमि भामिनी के श्लथ तन पर
पुंज पुंज संजीवन बरसे।

रचनाकाल: ०१-११-१९९६