भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शादी के गीत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: बन्ना अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली इनकी मनोहर जोडी ल…)
(कोई अंतर नहीं)

19:30, 26 अक्टूबर 2010 का अवतरण

बन्ना

अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली

इनकी मनोहर जोडी लागे कितनी भली

अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली

बहना के घर में ये पहली खुशी है

पहली खुशी बडी देर से मिली है

सपना पूरा हुआ, मन की आशा फली

इनकी मनोहर जोडी लागे कितनी भली

अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली

दिन रंग भरे आयेंगे, होगी हर रात दिवाली

संग ले के चली अपने घर, अब दिया जलाने वाली

प्यारे भैया ने पायी दुल्हन सांचे में ढली

इनकी मनोहर जोडी लागे कितनी भली

अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली