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दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोय । <br>
 
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जो सुख मे सुमरिन करे, दुख कहे को होय ॥
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जो सुख मे सुमरिन करे, दुख काहे को होय ॥
 
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13:22, 25 मई 2008 का अवतरण

 एक काव्य मोती
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दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोय ।
जो सुख मे सुमरिन करे, दुख काहे को होय ॥
कविता कोश में कबीर