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खूब पर्दा है कि चिलमन में छुपे बैठे हैं, <br>
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कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,<br>
साफ छिपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं| <br><br>
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मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।<br>
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मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,<br>
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ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है॥ <br><br>
 
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कविता कोश में [[दाग़ देहलवी ]]
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कविता कोश में [[कुमार विश्वास]]
 
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05:41, 26 अगस्त 2008 का अवतरण

 एक काव्य मोती
Pearl.jpg

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है॥

कविता कोश में कुमार विश्वास