"एकलड़ी / सत्यनारायण सोनी" के अवतरणों में अंतर
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− | जब से तुम परदेस गए, गया हमारा | + | जब से तुम परदेस गए, गया हमारा चैन । |
− | 'कनबतिया' कब मन भरे, तरसण लागे | + | 'कनबतिया' कब मन भरे, तरसण लागे नैन ।। |
− | चैटिंग-चैटिंग तुम करो, वैटिंग-वैटिंग | + | चैटिंग-चैटिंग तुम करो, वैटिंग-वैटिंग हम्म । |
− | चौका-चूल्हा-रार में, गई उमरिया | + | चौका-चूल्हा-रार में, गई उमरिया गम्म ।। |
− | सुणो सयाणा सायबा, आ'गी करवा | + | सुणो सयाणा सायबा, आ'गी करवा चौथ । |
− | एकलड़ी रै डील नै, खा'गी करवा | + | एकलड़ी रै डील नै, खा'गी करवा चौथ ।। |
− | दीवाळी सूकी गई, गया हमारा | + | दीवाळी सूकी गई, गया हमारा नूर । |
− | रोशन किसका घर हुआ, दिया हमारा | + | रोशन किसका घर हुआ, दिया हमारा दूर ।। |
− | दिप-दिप कर दीवो चस्यो, चस्यो न म्हारो | + | दिप-दिप कर दीवो चस्यो, चस्यो न म्हारो मन्न । |
− | पिव म्हारो परदेस बस्यो, रस्यो न म्हारो | + | पिव म्हारो परदेस बस्यो, रस्यो न म्हारो तन्न ।। |
− | रामरमी नै मिल रया, बांथम-बांथां | + | रामरमी नै मिल रया, बांथम-बांथां लोग । |
− | थारा-म्हारा साजनां, कद होसी | + | थारा-म्हारा साजनां, कद होसी संजोग ।। |
− | म्हैं तो काठी धापगी, मार-मार | + | म्हैं तो काठी धापगी, मार-मार मिसकाल । |
− | चुप्पी कीकर धारली, सासूजी रा लाल! | + | चुप्पी कीकर धारली, सासूजी रा लाल ! |
− | जैपरियै में जा बस्यो, म्हारो प्यारो | + | जैपरियै में जा बस्यो, म्हारो प्यारो नाथ । |
− | सोखी कोनी काटणी, सीयाळै री | + | सोखी कोनी काटणी, सीयाळै री रात ।। |
− | म्हारो प्यारो सायबो, कोमळ-कूंपळ- | + | म्हारो प्यारो सायबो, कोमळ-कूंपळ-फूल । |
− | एकलड़ी रै डील में, घणी गडोवै | + | एकलड़ी रै डील में, घणी गडोवै सूळ ।। |
− | दिन तो दुख में गूजरै, आथण घणो | + | दिन तो दुख में गूजरै, आथण घणो ऊचाट । |
− | एकलड़ी रै डील नै, खावण लागै | + | एकलड़ी रै डील नै, खावण लागै खाट ।। |
− | पैली चिपटै गाल पर, पछै कुचरणी | + | पैली चिपटै गाल पर, पछै कुचरणी कान । |
− | माछरियो मनभावणो, म्हारो राखै | + | माछरियो मनभावणो, म्हारो राखै मान ।। |
− | माछर रै इण मान नैं, मानूं कीकर | + | माछर रै इण मान नैं, मानूं कीकर मान । |
− | एकलड़ी रै कान में, तानां री है | + | एकलड़ी रै कान में, तानां री है तान ।। |
− | थप-थप मांडूं आंगळी, थेपड़ियां में | + | थप-थप मांडूं आंगळी, थेपड़ियां में थाप । |
− | तन में तेजी काम री, मन में थारी | + | तन में तेजी काम री, मन में थारी छाप ।। |
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+ | आज उमंग में आंगणो, नाचै नौ-नौ ताळ । | ||
+ | प्रीतम आयो पावणो, सुख बरसैलो साळ ।। | ||
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01:13, 31 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
तू ही म्हारो काळजो, तू ही म्हारो जीव ।
घड़ी पलक नहिं आवड़ै, तुझ बिन म्हारा पीव !
जब से तुम परदेस गए, गया हमारा चैन ।
'कनबतिया' कब मन भरे, तरसण लागे नैन ।।
चैटिंग-चैटिंग तुम करो, वैटिंग-वैटिंग हम्म ।
चौका-चूल्हा-रार में, गई उमरिया गम्म ।।
सुणो सयाणा सायबा, आ'गी करवा चौथ ।
एकलड़ी रै डील नै, खा'गी करवा चौथ ।।
दीवाळी सूकी गई, गया हमारा नूर ।
रोशन किसका घर हुआ, दिया हमारा दूर ।।
दिप-दिप कर दीवो चस्यो, चस्यो न म्हारो मन्न ।
पिव म्हारो परदेस बस्यो, रस्यो न म्हारो तन्न ।।
रामरमी नै मिल रया, बांथम-बांथां लोग ।
थारा-म्हारा साजनां, कद होसी संजोग ।।
म्हैं तो काठी धापगी, मार-मार मिसकाल ।
चुप्पी कीकर धारली, सासूजी रा लाल !
जैपरियै में जा बस्यो, म्हारो प्यारो नाथ ।
सोखी कोनी काटणी, सीयाळै री रात ।।
म्हारो प्यारो सायबो, कोमळ-कूंपळ-फूल ।
एकलड़ी रै डील में, घणी गडोवै सूळ ।।
दिन तो दुख में गूजरै, आथण घणो ऊचाट ।
एकलड़ी रै डील नै, खावण लागै खाट ।।
पैली चिपटै गाल पर, पछै कुचरणी कान ।
माछरियो मनभावणो, म्हारो राखै मान ।।
माछर रै इण मान नैं, मानूं कीकर मान ।
एकलड़ी रै कान में, तानां री है तान ।।
थप-थप मांडूं आंगळी, थेपड़ियां में थाप ।
तन में तेजी काम री, मन में थारी छाप ।।
आज उमंग में आंगणो, नाचै नौ-नौ ताळ ।
प्रीतम आयो पावणो, सुख बरसैलो साळ ।।