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"लड़की पतंग लूटना चाहती है / सत्यनारायण सोनी" के अवतरणों में अंतर
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उड़ती पतंगों को | उड़ती पतंगों को | ||
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दिख गया उसे | दिख गया उसे | ||
आसमान चीरता | आसमान चीरता | ||
− | एक हवाई | + | एक हवाई जहाज़ । |
बोली- | बोली- | ||
पापा, | पापा, | ||
− | हवाई | + | हवाई जहाज़ ला दो ना! |
विस्फारित नेत्रों | विस्फारित नेत्रों | ||
पढ़ा पिता ने | पढ़ा पिता ने | ||
बेटी का चेहरा | बेटी का चेहरा | ||
− | और | + | और मुस्कराए । |
बेटी ने गड़ा दीं आँखें | बेटी ने गड़ा दीं आँखें | ||
पिता की आँखों में, | पिता की आँखों में, | ||
ला दो ना पापा, | ला दो ना पापा, | ||
− | हम हवाई | + | हम हवाई जहाज़ पर चढ़ |
पतंग लूटेंगे! | पतंग लूटेंगे! | ||
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01:17, 31 अक्टूबर 2010 का अवतरण
आसमान में
उड़ती पतंगों को
निहार रही
छत पर खड़ी
गुडिय़ा-सी बिटिया ।
दिख गया उसे
आसमान चीरता
एक हवाई जहाज़ ।
बोली-
पापा,
हवाई जहाज़ ला दो ना!
विस्फारित नेत्रों
पढ़ा पिता ने
बेटी का चेहरा
और मुस्कराए ।
बेटी ने गड़ा दीं आँखें
पिता की आँखों में,
ला दो ना पापा,
हम हवाई जहाज़ पर चढ़
पतंग लूटेंगे!