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"बूढ़ी बेरिया / पवन करण" के अवतरणों में अंतर
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टोकती नहीं | टोकती नहीं | ||
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स्कूल जाते समय बच्चों को | स्कूल जाते समय बच्चों को | ||
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लौटते वक़्त उन्हें | लौटते वक़्त उन्हें | ||
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पास बुलाती है | पास बुलाती है | ||
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बूढ़ी बेरिया | बूढ़ी बेरिया | ||
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उनसे करती है | उनसे करती है | ||
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बेरों की भाषा में | बेरों की भाषा में | ||
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खट्टी-मीठी बातें | खट्टी-मीठी बातें | ||
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उनके प्रेम में जीवन-भर | उनके प्रेम में जीवन-भर | ||
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अभिभूत | अभिभूत | ||
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माँ-सी बेरिया | माँ-सी बेरिया | ||
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रख ही नहीं पाती याद | रख ही नहीं पाती याद | ||
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बच्चों ने उस पर | बच्चों ने उस पर | ||
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कब कितने | कब कितने | ||
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पत्थर उछाले | पत्थर उछाले | ||
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20:30, 31 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
टोकती नहीं
स्कूल जाते समय बच्चों को
लौटते वक़्त उन्हें
पास बुलाती है
बूढ़ी बेरिया
उनसे करती है
बेरों की भाषा में
खट्टी-मीठी बातें
उनके प्रेम में जीवन-भर
अभिभूत
माँ-सी बेरिया
रख ही नहीं पाती याद
बच्चों ने उस पर
कब कितने
पत्थर उछाले