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"नींद / आलोक धन्वा" के अवतरणों में अंतर

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रात के आवारा
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जैसे चांद में पानी की घास
 
जैसे चांद में पानी की घास
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21:13, 1 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

रात के आवारा
मेरी आत्मा के पास भी रुको
मुझे दो ऐसी नींद
जिस पर एक तिनके का भी दबाव ना हो

ऐसी नींद
जैसे चांद में पानी की घास