भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कूख पड़यै री पीड़ / किशोर कल्पनाकांत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
कूख मांय आग्यो है !
 
कूख मांय आग्यो है !
 
जापायत बणली अबकै
 
जापायत बणली अबकै
          म्हारली भावना
+
म्हारली भावना
        जुगां सूं बाँझड़ी- कूख
+
जुगां सूं बाँझड़ी-कूख
बणसी अबै एक फल़ापतों- रुंख  
+
बणसी अबै एक फळापतो-रुंख
        आंगण बाजसी सोवनथाळ  
+
आंगणै बाजसी सोवनथाळ
फेरूँ कोई नी कैय सकै
+
फेरूं कोई नीं कैय सकै
          कुसमो- काळ !
+
कुसमो-काळ !
 
मानखै रो स्वाभिमान गासी मंगळगीत
 
मानखै रो स्वाभिमान गासी मंगळगीत
          होवै लागी अबै परतीत !
+
होवै लागी अबै परतीत !
      ओजूं एक चन्द्रगुप्त जामैला !
+
 
स्वाभिमान नै टीयो दीखावणयाँ रो
+
ओजूं एक चन्द्रगुप्त जामैला !
                  माथो भांगैला !
+
स्वाभिमान नै टीयो दीखावणयां रो
                ऊथल़ो माँगेला
+
माथो भांगैला !
              चाणक्य रा नीत-मंत्र !
+
ऊथळो मांगेला
 +
चाणक्य रा नीत-मंत्र !
 
चन्द्रगुप्त रो भुजबळ मांगेला
 
चन्द्रगुप्त रो भुजबळ मांगेला
                आपरो तंत्र !
+
आपरो तंत्र !
विजै-गीत गवैला चारण- भाट
+
विजै-गीत गवैला चारण-भाट
उतर रैयो है  
+
उतर रैयो है
 
धरती उपरां एक आतमबळ विराट !
 
धरती उपरां एक आतमबळ विराट !
इतिहास दुसरावैला आपरी रीत  
+
इतिहास दुसरावैला आपरी रीत
        होवै लागी अबै परतीत
+
होवै लागी अबै परतीत !
  
अणतकाळ सूं रुपयोड़ी है
+
अणतकाळ सूं रुपयोड़ी है
        एक जंगी-राड़
+
एक जंगी-राड़ !
                  पटकपछाड़  
+
पटकपछाड़
 
देव-दाना रै बीच कद रैयो सम्प
 
देव-दाना रै बीच कद रैयो सम्प
दिसावां माँय भरीजग्यो है कम्प !
+
दिसावां मांय भरीजग्यो है कम्प !
  जद-कद आडा आवै दधिची रा हाड़
+
जद-कद आडा आवै दधिची रा हाड़
    स्याणा कैवे क जड़ लेवो किंवाड़  
+
स्याणा कथै क जड़ लेवो किंवाड़
              राड़ आगै बाड़ चोखी  
+
राड़ आगै बाड़ चोखी
 
पण के ठा' ! कुण, किण रो है दोखी !
 
पण के ठा' ! कुण, किण रो है दोखी !
    बरतीजै, जद बिरत्यां
+
बरतीजै, जद बिरत्यां
                    गमज्यावै सिमरत्यां  
+
गम ज्यावै सिमरत्यां
सुभावां री होवै ओळखाण  
+
सुभावां री होवै ओळखाण
 
बिरळबाण होय जावै
 
बिरळबाण होय जावै
  धरम -करम अणजाण
+
धरम-करम अणजाण
जद होवण लागै इसी परतीत  
+
जद होवण लागै इसी परतीत
अर भीसळ जावै मानखै री नीत
+
अर भिसळ जावै मानखै री नीत
जद न्याय नै
+
जद न्याय नै
गोडालाठी लगायनै  
+
गोडालाठी लगायनै
नाख देवै पसवाडै
+
नाख देवै पसवाड़ै
नागी नाचण लागै अनीत चौडै.धाडै.
+
नागी नाचण लागै अनीत चौड़ैधाड़ै
जणा भावना'र विवेक रै संजोग  
+
जणा भावना'र विवेक रै संजोग
मानखै रै गरभ पडै.
+
मानखै रै गरभ पड़ै
 
बो एक जोग !
 
बो एक जोग !
काईं होवै लागी इसी परतीत ?
+
 
 +
 
 +
कांईं होवै लागी इसी परतीत ?
 
बोल-बोल !
 
बोल-बोल !
          मनगीत !
+
मनगीत !
ओ अनुभव है जुगां री एक सांच  
+
 
ऐकर गीता नै बांच !
+
ओ अनुभव है जुगां री एक सांच
रामायण नै गा !
+
एकर ‘गीता’ नै बांच !
 +
‘रामायण’ नै गा !
 
उण कथ सूं हेत लगा !
 
उण कथ सूं हेत लगा !
 
जिको है बिरम रै उणियार !
 
जिको है बिरम रै उणियार !
बो-ई धरै चाणक्य-चन्द्रगुप्त रो आकार !
+
बो-ई धरै चाणक्य-चन्द्रगुप्त रो आकार !
नांवसोक मन माँय चींत !
+
नांवसोक मन मांय चींत !
द्खाँ, किसीक होवैं परतीत !
+
दखां, किसीक होवै परतीत !
इयाँ  कितराक दिन चालसी  
+
 
पाखण्ड - तणो वंस ?
+
इयां कितराक दिन चालसी
छेवट, इण बजराक सूं मरयां सरसी कंस !
+
पाखण्ड-तणो वंस ?
घणा दिन नी रैया है बाकी  
+
छेवट, इण बजराक सूं मरियां सरसी कंस !
चाल रैयी है काळ तणी चाकी  
+
घणा दिन नीं रैयग्या है बाकी
नौवो-म्हीनो लागग्यो है आज  
+
चाल रैयी है काळ तणी चाकी
      नेडै. है जै अर जीत !
+
नौवों-म्हीनो लागग्यो है आज
      होवै लागी परतीत !
+
नेड़ै-ई है जै अर जीत !
मै,
+
होवै लागी परतीत !
पीड़ रै साथै उछाव नै अनुभवूं !
+
 
 +
मैं,
 +
पीड़ रै साथै उछाव नै अनुभवूं !
 
मैं,
 
मैं,
 
काळधणी नै माथो निंवू !
 
काळधणी नै माथो निंवू !
पंक्ति 79: पंक्ति 85:
 
एक खुशी री पीड़ है
 
एक खुशी री पीड़ है
 
काळधणी री पगचाप
 
काळधणी री पगचाप
बगावत रो घमीड. है !
+
बगावत रो घमीड़ है !
  साव दीसै ममता
+
साव दीसै ममता
जामण री खिमता
+
जामण री खिमता
 
भविष्य रो एक सुपनो प्यारो
 
भविष्य रो एक सुपनो प्यारो
      म्हारी आँख रो तारो
+
म्हारी आंख रो तारो
लाखूंलाख सुरजां सूं बेसी है !
+
लाखूंलाख सुरजां सूं बेसी है !
                    सांसां माँय  बापरै !
+
सांसां मांय बापरै !
                  बो नी है अबै आन्तरै !
+
बो नीं है अबै आंतरै !
                बो-ई है म्हारो महागीत  
+
बो-ई है म्हारो महागीत !
                    बो-ई है सागण परतीत !
+
बो-ई है सागण परतीत !
 
+
***
 
</poem>
 
</poem>

06:03, 3 नवम्बर 2010 का अवतरण

ओजूं एक चाणक्य
कूख मांय आग्यो है !
जापायत बणली अबकै
म्हारली भावना
जुगां सूं बाँझड़ी-कूख
बणसी अबै एक फळापतो-रुंख
आंगणै बाजसी सोवनथाळ
फेरूं कोई नीं कैय सकै
कुसमो-काळ !
मानखै रो स्वाभिमान गासी मंगळगीत
होवै लागी अबै परतीत !

ओजूं एक चन्द्रगुप्त जामैला !
स्वाभिमान नै टीयो दीखावणयां रो
माथो भांगैला !
ऊथळो मांगेला
चाणक्य रा नीत-मंत्र !
चन्द्रगुप्त रो भुजबळ मांगेला
आपरो तंत्र !
विजै-गीत गवैला चारण-भाट
उतर रैयो है
धरती उपरां एक आतमबळ विराट !
इतिहास दुसरावैला आपरी रीत
होवै लागी अबै परतीत !

अणतकाळ सूं रुपयोड़ी है
एक जंगी-राड़ !
पटकपछाड़
देव-दाना रै बीच कद रैयो सम्प
दिसावां मांय भरीजग्यो है कम्प !
जद-कद आडा आवै दधिची रा हाड़
स्याणा कथै क जड़ लेवो किंवाड़
राड़ आगै बाड़ चोखी
पण के ठा' ! कुण, किण रो है दोखी !
बरतीजै, जद बिरत्यां
गम ज्यावै सिमरत्यां
सुभावां री होवै ओळखाण
बिरळबाण होय जावै
धरम-करम अणजाण
जद होवण लागै इसी परतीत
अर भिसळ जावै मानखै री नीत
जद न्याय नै
गोडालाठी लगायनै
नाख देवै पसवाड़ै
नागी नाचण लागै अनीत चौड़ैधाड़ै
जणा भावना'र विवेक रै संजोग
मानखै रै गरभ पड़ै
बो एक जोग !


 कांईं होवै लागी इसी परतीत ?
बोल-बोल !
मनगीत !

ओ अनुभव है जुगां री एक सांच
एकर ‘गीता’ नै बांच !
‘रामायण’ नै गा !
उण कथ सूं हेत लगा !
जिको है बिरम रै उणियार !
बो-ई धरै चाणक्य-चन्द्रगुप्त रो आकार !
नांवसोक मन मांय चींत !
दखां, किसीक होवै परतीत !

इयां कितराक दिन चालसी
पाखण्ड-तणो वंस ?
छेवट, इण बजराक सूं मरियां सरसी कंस !
घणा दिन नीं रैयग्या है बाकी
चाल रैयी है काळ तणी चाकी
नौवों-म्हीनो लागग्यो है आज
नेड़ै-ई है जै अर जीत !
होवै लागी परतीत !

मैं,
पीड़ रै साथै उछाव नै अनुभवूं !
मैं,
काळधणी नै माथो निंवू !
म्हारी पीड़
एक खुशी री पीड़ है
काळधणी री पगचाप
बगावत रो घमीड़ है !
साव दीसै ममता
जामण री खिमता
भविष्य रो एक सुपनो प्यारो
म्हारी आंख रो तारो
लाखूंलाख सुरजां सूं बेसी है !
सांसां मांय बापरै !
बो नीं है अबै आंतरै !
बो-ई है म्हारो महागीत !
बो-ई है सागण परतीत !