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कवि: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=गुलज़ार]][[Category:कविताएँ]]|संग्रह = }}
[[Category:गज़ल]]
[[Category:गुलज़ार]]<poem>ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हाक़ाफिला साथ और सफ़र तन्हा
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~अपने साये से चौंक जाते हैंउम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तनहा<br>रात भर बोलते हैं सन्नाटेक़ाफ़िला साथ और सफर तनहा<br><br>रात काटे कोई किधर तन्हा
अपने साये से चौंक जाते हैं<br>उम्र गुज़री दिन गुज़रता नहीं है इस कदर तनहा<br><br>लोगों मेंरात होती नहीं बसर तन्हा
रात भर बोलते हैं सन्नाटे<br>रात काटे कोई किधर तनहा<br><br> दिन गुज़रता नहीं है लोगों में<br>रात होती नहीं बसर तनहा<br><br> हमने दरवाज़े तक तो देखा था<br>फिर न जाने गए किधर तनहा<br>तन्हा<br/poem>