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"इन आंखों से दिन रात बरसात होगी / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
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इन आँखों से दिन-रात बरसात होगी | इन आँखों से दिन-रात बरसात होगी | ||
− | अगर ज़िंदगी सर्फ़-ए-जज़्बात होगी | + | अगर ज़िंदगी सर्फ़-ए-जज़्बात<ref>भावनाओं में ख़र्च |
+ | </ref> होगी | ||
मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी | मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी | ||
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी | किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी | ||
− | सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पायें | + | सदाओं को अल्फाज़<ref>शब्द |
+ | </ref> मिलने न पायें | ||
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी | न बादल घिरेंगे न बरसात होगी | ||
− | चराग़ों को आँखों में महफूज़ रखना | + | चराग़ों को आँखों में महफूज़<ref>सुरक्षित |
+ | </ref> रखना | ||
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी | बड़ी दूर तक रात ही रात होगी | ||
− | अज़ल-ता-अब्द तक सफ़र ही सफ़र है | + | अज़ल-ता-अब्द<ref>आदि से अंत |
+ | </ref> तक सफ़र ही सफ़र है | ||
कहीं सुबह होगी कहीं रात होगी | कहीं सुबह होगी कहीं रात होगी | ||
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17:55, 7 नवम्बर 2010 का अवतरण
इन आँखों से दिन-रात बरसात होगी
अगर ज़िंदगी सर्फ़-ए-जज़्बात<ref>भावनाओं में ख़र्च
</ref> होगी
मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
सदाओं को अल्फाज़<ref>शब्द
</ref> मिलने न पायें
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी
चराग़ों को आँखों में महफूज़<ref>सुरक्षित
</ref> रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
अज़ल-ता-अब्द<ref>आदि से अंत
</ref> तक सफ़र ही सफ़र है
कहीं सुबह होगी कहीं रात होगी