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"इन आंखों से दिन रात बरसात होगी / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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कहीं सुबह होगी कहीं रात होगी
 
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17:57, 7 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

इन आँखों से दिन-रात बरसात होगी
अगर ज़िंदगी सर्फ़-ए-जज़्बात<ref>भावनाओं में ख़र्च
</ref> होगी

मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

सदाओं को अल्फाज़<ref>शब्द
</ref> मिलने न पायें
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी

चराग़ों को आँखों में महफूज़<ref>सुरक्षित
</ref> रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

अज़ल-ता-अब्द<ref>आदि से अंत
</ref> तक सफ़र ही सफ़र है
कहीं सुबह होगी कहीं रात होगी

शब्दार्थ
<references/>