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"शकीरा का वाका वाका / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर
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| रह-रह कर   | रह-रह कर   | ||
| − | लगातार  | + | लगातार प्रज्ज्वलित होती हुई   | 
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| अचानक   | अचानक   | ||
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| मूर्ति से बाहर | मूर्ति से बाहर | ||
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| जब शकीरा ने   | जब शकीरा ने   | ||
| − | वाका-वाका  | + | वाका-वाका किया  | 
| देखो   | देखो   | ||
18:19, 7 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
गुज़रती जा रही हो 
भिगोती हुई 
पानी की तेज़ लहर 
रह-रह कर 
लगातार प्रज्ज्वलित होती हुई 
एक आग 
सीसे को काटती हो 
शहद की धार
ऐसी आवाज़ 
अल्हड किशोरी का 
छलकता हो आनंद 
ऐसा नृत्य 
बारिश का हो इंतज़ार 
छमाछम बरसे 
अचानक 
सौंदर्य की देवी 
आ गई हो 
मूर्ति से बाहर
ईश्वर को कहा जाता है 
पूर्ण एश्वर्य 
तब लगा वह अपने स्त्री रूप में 
प्रगट हुआ है 
जब शकीरा ने 
वाका-वाका किया 
देखो 
दावों को झुठलाते हुए 
झलका है वह 
अन्जान देश की लड़की 
शकीरा में
 
	
	

