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"तन की हवस / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर
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23:29, 7 नवम्बर 2010 का अवतरण
तन की हवस मन को गुनाहगार बना देती है
बाग के बाग़ को बीमार बना देती है
भूखे पेटों को देशभक्ति सिखाने वालो
भूख इन्सान को गद्दार बना देती है