भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जीवन जहाँ / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपालदास "नीरज" }} जीवन जहाँ खत्म हो जाता !<br> उठते-गिरते,<b...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=गोपालदास "नीरज" | |रचनाकार=गोपालदास "नीरज" | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | जीवन जहाँ खत्म हो जाता ! | + | <poem> |
− | उठते-गिरते, | + | जीवन जहाँ खत्म हो जाता ! |
− | जीवन-पथ पर | + | उठते-गिरते, |
− | चलते-चलते, | + | जीवन-पथ पर |
− | पथिक पहुँच कर, | + | चलते-चलते, |
− | इस जीवन के चौराहे पर, | + | पथिक पहुँच कर, |
− | क्षणभर रुक कर, | + | इस जीवन के चौराहे पर, |
− | सूनी दृष्टि डाल सम्मुख जब पीछे अपने नयन घुमाता ! | + | क्षणभर रुक कर, |
− | जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता !< | + | सूनी दृष्टि डाल सम्मुख जब पीछे अपने नयन घुमाता ! |
+ | जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता ! | ||
+ | </poem> |
01:06, 8 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
जीवन जहाँ खत्म हो जाता !
उठते-गिरते,
जीवन-पथ पर
चलते-चलते,
पथिक पहुँच कर,
इस जीवन के चौराहे पर,
क्षणभर रुक कर,
सूनी दृष्टि डाल सम्मुख जब पीछे अपने नयन घुमाता !
जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता !