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"मेरे मन-मिरगा नहीं मचल / भारत भूषण" के अवतरणों में अंतर

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<poem>मेरे मन-मिरगा नहीं मचल
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मेरे मन-मिरगा नहीं मचल
 
हर दिशि केवल मृगजल मृगजल!
 
हर दिशि केवल मृगजल मृगजल!
  
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सिर माथे चढा इसे भी तू
 
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ये तेरी पूजा का प्रतिफल!
 
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20:51, 8 नवम्बर 2010 का अवतरण

मेरे मन-मिरगा नहीं मचल
हर दिशि केवल मृगजल मृगजल!

प्रतिमाओं का इतिहास यही
उनको कोई भी प्यास नहीं
तू जीवन भर मंदिर-मंदिर
बिखराता फिर अपना दृगजल!

खौलते हुए उन्मादों को
अनुप्रास बने अपराधों को
निश्चित है बांध न पाएगा
झीने-से रेशम का आंचल!

भींगी पलकें भींगा तकिया
भावुकता ने उपहार दिया
सिर माथे चढा इसे भी तू
ये तेरी पूजा का प्रतिफल!