भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरे मन-मिरगा नहीं मचल / भारत भूषण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
<poem>
 
<poem>
 
मेरे मन-मिरगा नहीं मचल
 
मेरे मन-मिरगा नहीं मचल
हर दिशि केवल मृगजल मृगजल!
+
हर दिशि केवल मृगजल-मृगजल!
  
 
प्रतिमाओं का इतिहास यही
 
प्रतिमाओं का इतिहास यही
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
खौलते हुए उन्मादों को
 
खौलते हुए उन्मादों को
 
अनुप्रास बने अपराधों को
 
अनुप्रास बने अपराधों को
निश्चित है बांध न पाएगा
+
निश्चित है बाँध न पाएगा
झीने-से रेशम का आंचल!
+
झीने-से रेशम का आँचल!
  
भींगी पलकें भींगा तकिया
+
भीगी पलकें भीगा तकिया
 
भावुकता ने उपहार दिया
 
भावुकता ने उपहार दिया
 
सिर माथे चढा इसे भी तू
 
सिर माथे चढा इसे भी तू
 
ये तेरी पूजा का प्रतिफल!
 
ये तेरी पूजा का प्रतिफल!
 
</poem>
 
</poem>

20:51, 8 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

मेरे मन-मिरगा नहीं मचल
हर दिशि केवल मृगजल-मृगजल!

प्रतिमाओं का इतिहास यही
उनको कोई भी प्यास नहीं
तू जीवन भर मंदिर-मंदिर
बिखराता फिर अपना दृगजल!

खौलते हुए उन्मादों को
अनुप्रास बने अपराधों को
निश्चित है बाँध न पाएगा
झीने-से रेशम का आँचल!

भीगी पलकें भीगा तकिया
भावुकता ने उपहार दिया
सिर माथे चढा इसे भी तू
ये तेरी पूजा का प्रतिफल!