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आज पहली बात पहली रात साथी | आज पहली बात पहली रात साथी | ||
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श्याम अलकों में किरण खोई हुई है | श्याम अलकों में किरण खोई हुई है | ||
प्यार से भीगा प्रकृति का गात साथी | प्यार से भीगा प्रकृति का गात साथी | ||
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मौन सर में कंज की आँखें मुंदी हैं | मौन सर में कंज की आँखें मुंदी हैं | ||
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दूर है सूरज, सुदूर प्रभात साथी | दूर है सूरज, सुदूर प्रभात साथी | ||
आज पहली बात पहली रात साथी | आज पहली बात पहली रात साथी | ||
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खुद किसी के हो चलो अपना बनाओ | खुद किसी के हो चलो अपना बनाओ | ||
है यही जीवन, नहीं अपघात साथी | है यही जीवन, नहीं अपघात साथी | ||
− | आज पहली बात पहली रात साथी </poem> | + | आज पहली बात पहली रात साथी |
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20:53, 8 नवम्बर 2010 का अवतरण
आज पहली बात पहली रात साथी
चाँदनी ओढ़े धरा सोई हुई है
श्याम अलकों में किरण खोई हुई है
प्यार से भीगा प्रकृति का गात साथी
आज पहली बात पहली रात साथी
मौन सर में कंज की आँखें मुंदी हैं
गोद में प्रिय भृंग हैं बाहें बँधी हैं
दूर है सूरज, सुदूर प्रभात साथी
आज पहली बात पहली रात साथी
आज तुम भी लाज के बंधन मिटाओ
खुद किसी के हो चलो अपना बनाओ
है यही जीवन, नहीं अपघात साथी
आज पहली बात पहली रात साथी