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"भायला / तन सिंह" के अवतरणों में अंतर

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मत पूछे के ठाठ भायला | पोळी मै खाट भायला ।।
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मत पूछे के ठाठ भायला पोळी मै खाट भायला ।।
पनघट पायल बाज्या करती ,सुगनु चुड़लो हाथा मै ।
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पनघट पायल बाज्या करती, सुगनु चुड़लो हाथा मै ।
रूप रंगा रा मेला भरता ,रस बरस्या करतो बातां मै ।
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रूप रंगा रा मेला भरता, रस बरस्या करतो बातां मै ।
हान्स हान्स कामन घणी पूछती , के के गुज़री रात्यां मै ।
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हान्स हान्स कामन घणी पूछती, के के गुज़री रात्यां मै ।
घूंघट माई लजा बीनणी ,पल्लो देती दांता मै ।
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घूंघट माई लजा बीनणी, पल्लो देती दांता मै ।
नीर बिहुणी हुई बावड़ी , सूना पणघट घाट भायला ।
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नीर बिहुणी हुई बावड़ी, सूना पणघट घाट भायला ।
 
पोळी मै है खाट भायला ।।
 
पोळी मै है खाट भायला ।।
  
छल छल जोबन छ्ळ्क्या करतो ,गोटे हाळी कांचली ।
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छल छल जोबन छ्ळ्क्या करतो, गोटे हाळी कांचली ।
मांग हींगलू नथ रो मोती ,माथे रखडी सांकली ।
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मांग हींगलू नथ रो मोती, माथे रखडी सांकली ।
जगमग जगमग दिवलो जुगतो ,पळका पाडता गैणा मै ।
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जगमग जगमग दिवलो जुगतो, पळका पाडता गैणा मै ।
घनै हेत सूं सेज सजाती ,काजल सारयां नैणा मै ।
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घनै हेत सूं सेज सजाती, काजल सारयां नैणा मै ।
उन नैणा मै जाळा पड़गा ,देख्या करता बाट भायला ।
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उन नैणा मै जाळा पड़गा, देख्या करता बाट भायला ।
 
पोळी मै खाट भायला ।।
 
पोळी मै खाट भायला ।।
  
 
अतर छिडकतो पान चबातो नैलै ऊपर दैलो ।
 
अतर छिडकतो पान चबातो नैलै ऊपर दैलो ।
दुनिया कैती कामणगारो ,अपने जुग को छैलो हो ।
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दुनिया कैती कामणगारो, अपने जुग को छैलो हो ।
 
पण बैरी की डाढ रूपि ना, इतनों बळ हो लाठी मैं ।
 
पण बैरी की डाढ रूपि ना, इतनों बळ हो लाठी मैं ।
 
तन को बळ मन को जोश झळकणो ,मूंछा हाली आंटी मै ।।
 
तन को बळ मन को जोश झळकणो ,मूंछा हाली आंटी मै ।।
इब तो म्हारो राम रूखाळो , मिलगा दोनूं पाट भायला ।
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इब तो म्हारो राम रूखाळो, मिलगा दोनूं पाट भायला ।
 
पोळी मै खाट भायला ।।
 
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हाड हाड मै पीड पळै है रोम रोम है अबखाई ।
 
हाड हाड मै पीड पळै है रोम रोम है अबखाई ।
 
छाती कै मा कफ घरडावै खाल डील की है लटक्याई ।।
 
छाती कै मा कफ घरडावै खाल डील की है लटक्याई ।।
चिटियो म्हारो साथी बणगो ,डगमग हालै टाट भायला ।
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पोळी मै है खाट भायला ।।
 
पोळी मै है खाट भायला ।।
 
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10:07, 9 नवम्बर 2010 का अवतरण

मत पूछे के ठाठ भायला । पोळी मै खाट भायला ।।
पनघट पायल बाज्या करती, सुगनु चुड़लो हाथा मै ।
रूप रंगा रा मेला भरता, रस बरस्या करतो बातां मै ।
हान्स हान्स कामन घणी पूछती, के के गुज़री रात्यां मै ।
घूंघट माई लजा बीनणी, पल्लो देती दांता मै ।
नीर बिहुणी हुई बावड़ी, सूना पणघट घाट भायला ।
पोळी मै है खाट भायला ।।

छल छल जोबन छ्ळ्क्या करतो, गोटे हाळी कांचली ।
मांग हींगलू नथ रो मोती, माथे रखडी सांकली ।
जगमग जगमग दिवलो जुगतो, पळका पाडता गैणा मै ।
घनै हेत सूं सेज सजाती, काजल सारयां नैणा मै ।
उन नैणा मै जाळा पड़गा, देख्या करता बाट भायला ।
पोळी मै खाट भायला ।।

अतर छिडकतो पान चबातो नैलै ऊपर दैलो ।
दुनिया कैती कामणगारो, अपने जुग को छैलो हो ।
पण बैरी की डाढ रूपि ना, इतनों बळ हो लाठी मैं ।
तन को बळ मन को जोश झळकणो ,मूंछा हाली आंटी मै ।।
इब तो म्हारो राम रूखाळो, मिलगा दोनूं पाट भायला ।
पोळी मै खाट भायला ।।

बिन दांता को हुयो जबाडो चश्मों चढ्गो आख्याँ मै ।
गोडा मांई पाणी पडगो जोर बच्यो नी हाथां मै ।
हाड हाड मै पीड पळै है रोम रोम है अबखाई ।
छाती कै मा कफ घरडावै खाल डील की है लटक्याई ।।
चिटियो म्हारो साथी बणगो, डगमग हालै टाट भायला ।
पोळी मै है खाट भायला ।।