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"समुद्र का गीत / रैनेर मरिया रिल्के" के अवतरणों में अंतर

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युगों पुरानी समुद्र की तरफ से आती सांस
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समुद्री हवा
 
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जो भी जगता है उसे
 
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अपना रास्ता सवयं चुनना होगा
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अपना रास्ता स्वयं चुनना होगा
तुमसे ज्यादा समय तक टिक रहने के लिए
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तुमसे ज़्यादा समय तक टिक रहने के लिए
 
समुद्र से आती युगों पुरानी सांस  
 
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मानो पुरातन शिलाओं के लिए ही मात्र बहती हुई
 
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प्रविष्ट होती हुई...
 
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चाँद की रोशनी में ऊँचे खड़े  
 
किसी मुकुलित अंजीर वृक्ष के द्वारा तुम किस कदर संवेगित.
 
किसी मुकुलित अंजीर वृक्ष के द्वारा तुम किस कदर संवेगित.
 
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12:09, 9 नवम्बर 2010 का अवतरण

युगों पुरानी समुद्र की तरफ से आती साँस
रात में
समुद्री हवा
तुम किसी की तलाश में नहीं

जो भी जगता है उसे
अपना रास्ता स्वयं चुनना होगा
तुमसे ज़्यादा समय तक टिक रहने के लिए
समुद्र से आती युगों पुरानी सांस
मानो पुरातन शिलाओं के लिए ही मात्र बहती हुई
शुद्धता भरे आकाश को दूर-दराज में चीर कर
प्रविष्ट होती हुई...

ओ चाँद की रोशनी में ऊँचे खड़े
किसी मुकुलित अंजीर वृक्ष के द्वारा तुम किस कदर संवेगित.