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"रेत के समन्दर सी/ रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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रेत के समन्दर सी है यह ज़िन्दगी,<br>
 
रेत के समन्दर सी है यह ज़िन्दगी,<br>

21:49, 9 नवम्बर 2010 का अवतरण

साँचा:KkGlobal साँचा:Kkrachna रचनाकार। रमा द्विवेदी(‘रेत का समन्दर’ -कविता संग्रह)


रेत के समन्दर सी है यह ज़िन्दगी,
तूफ़ां अगर आ जाए बिखर जाए ज़िन्दगी।

अश्रु के झरने ने समन्दर बना दिया,
सागर किनारे प्यासी ही रह जाए ज़िन्दगी।

जिन बेटियों को जन्म से पहले मिटा दिया
, उन बेटियों को बार-बार लाए ज़िन्दगी।

पैरों की धूल मानकर इनको न रौंदना,
गिर जाए अगर आँख में रुलाए ज़िन्दगी।

चाहे बना लो रेत के कितने घरौंदे तुम,
वक़्त के उबाल में ढ़ह जाए ज़िन्दगी।

जिनका वजूद रेत के तले दबा दिया,
उनको ही चट्टान बनाए यह ज़िन्दगी।