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इन सबको सँभाल के रखता हूँ | इन सबको सँभाल के रखता हूँ | ||
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जब मिलोगे | जब मिलोगे | ||
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तुमको सुनाउगां | तुमको सुनाउगां |
12:42, 12 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
कोई शेर कहूँ
या दुनिया के किसी मोजुं पर
में कोई नया मजमून पढूं
या कोई अनोखी बात सुनूँ
कोई बात
जो हंसानेवाली हो
कोई फिकरा
जो दिलचस्प लगे
या कोई ख्याल अछूता सा
या कहीं कोई मिले
कोई मंजर
जो हैरां कर दे
कोई लम्हा
जो दिल को छू जाये
मै अपने जहन के गोशों मै
इन सबको सँभाल के रखता हूँ
और सोचता हूँ
जब मिलोगे
तुमको सुनाउगां