भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हिज्र /जावेद अख़्तर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जावेद अख़्तर |संग्रह= तरकश / जावेद अख़्तर }} [[Category:…)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
<poem>
 
<poem>
 +
 +
 
कोई शेर कहूँ  
 
कोई शेर कहूँ  
 
 
या दुनिया के किसी मोजुं पर
 
या दुनिया के किसी मोजुं पर
 
 
में कोई नया मजमून पढूं
 
में कोई नया मजमून पढूं
 
 
या कोई अनोखी बात सुनूँ
 
या कोई अनोखी बात सुनूँ
 
 
कोई बात
 
कोई बात
 
+
जो हंसानेवाली हो  
जो हंसानेवाली हो  
+
 
+
 
कोई फिकरा  
 
कोई फिकरा  
 
 
जो दिलचस्प लगे
 
जो दिलचस्प लगे
 
 
या कोई ख्याल अछूता सा  
 
या कोई ख्याल अछूता सा  
 
 
या कहीं कोई मिले  
 
या कहीं कोई मिले  
 
 
कोई मंजर  
 
कोई मंजर  
 
 
जो हैरां कर दे  
 
जो हैरां कर दे  
 
 
कोई लम्हा  
 
कोई लम्हा  
 
 
जो दिल को छू जाये  
 
जो दिल को छू जाये  
 
 
मै अपने जहन के गोशों मै  
 
मै अपने जहन के गोशों मै  
 
 
इन सबको सँभाल के रखता हूँ  
 
इन सबको सँभाल के रखता हूँ  
 
 
और सोचता हूँ  
 
और सोचता हूँ  
 
 
जब मिलोगे
 
जब मिलोगे
 
 
तुमको सुनाउगां
 
तुमको सुनाउगां

12:42, 12 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण



कोई शेर कहूँ
या दुनिया के किसी मोजुं पर
में कोई नया मजमून पढूं
या कोई अनोखी बात सुनूँ
कोई बात
जो हंसानेवाली हो
कोई फिकरा
जो दिलचस्प लगे
या कोई ख्याल अछूता सा
या कहीं कोई मिले
कोई मंजर
जो हैरां कर दे
कोई लम्हा
जो दिल को छू जाये
मै अपने जहन के गोशों मै
इन सबको सँभाल के रखता हूँ
और सोचता हूँ
जब मिलोगे
तुमको सुनाउगां