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बादली/चन्द्र सिंह

160 bytes added, 11:59, 13 नवम्बर 2010
<poem>
जीवन नै सह तरसिया बंजड झंकड़ वाड़बरसे, भोली बादली आयो आज आसाड़
आठूं पोर अड़ीकतां बीते दिन ज्यूँ मास
दरसन दे, अब बादली मुरधर नै मत तास
 
आस लगाया मुरधरा देख रही दिन रात
भागी आ तुं बादली, आई रुत बरसात
कोरां कोरां धोरियाँ डून्गा-डून्गा डेर
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