{{KKRachna
|रचनाकार= चंद्रसिंह
|संग्रह= तरकश बादली / चंद्रसिंह
}}
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जीवन नै सह तरसिया बंजड झंकड़ वाड़|बरसे, भोली बादली आयो आज आसाड़||1|| आठूं पोर अड़ीकतां बीते दिन ज्यूँ मास |दरसन दे, अब बादली मुरधर नै मत तास ||2|| आस लगाया मुरधरा देख रही दिन रात |भागी आ तुं बादली, आई रुत बरसात ||3|| कोरां कोरां धोरियाँ डून्गा-डून्गा डेर |आव रमां ए बादली, ले-ले मुरधर ल्हेर ||4|| ग्रीखम रुत धाझी धरा कलप रही दिन रात |मेह मिलावन बादली बरस बरस बरसात ||5|| नहीं नदी नाला अठे नहीं सरवर सरसाय |एक आसरो बादली मरू सुकी मत जाय ||6|| खो मत जीवन, बावली डूंगर-खोहां जाय |मिलन पुकारे मुरधरा रम रम धोरां आय ||7|| नांव सुणया सुख उपजे जिवडे हुलस अपार |रग रग नाचे कोड में दे दरसन जिन वार ||8||
आठूं पोर अड़ीकतां बीते दिन ज्यूँ मास
दरसन दे, अब बादली मुरधर नै मत तास
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