भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुसाण / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} Category:मूल राजस्थानी भाषा {{KKCatBaalKavita}}…)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
}}
 
}}
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatBaalKavita}}
+
{{KKCatKavita‎}}
 
<poem>
 
<poem>
 
गांव रै बारै
 
गांव रै बारै

02:11, 17 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

गांव रै बारै
मुसाणां रै असवाड़ै-पसवाड़ै
खड़्या रूंख'र झाडख़ा
लागै उदास-उदास
अर रूंखां माथै
बैठी चिड़कल्यां
निरखै
म्हां सगळां नै
गूंगी अर बावळी सी
बुत बणयोड़ी
चुपचाप

तद
लागै मुसाण
फकत
माटी रौ अजायबघर ।