भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अब वह नहीं आती / अनिल जनविजय

25 bytes removed, 07:42, 17 नवम्बर 2010
<poem>
'''(रोज़ी वट्टा के लिए)
 
एक अरसा बीत गया
लापरवाह अपने चारों ओर से
ढूँढ रही हो ज्यों मुझे भोर से
 
प्रेम में मेरे डूबी थी ऐसे
उसकी याद आती है
'''(1984 में रचित)
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,359
edits