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"हाथ उठे हैं मगर लब पे दुआ कोई नहीं / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
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(हाथ उठे हैं मगर लब पे दुआ कोई नहीं / फ़राज़ का नाम बदलकर हाथ उठाए हैं मगर लब पे दुआ कोई नहीं / फ़राज़ क) |
(कोई अंतर नहीं)
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08:15, 18 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
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