Changes

सुबह-सुबह / नागार्जुन

31 bytes added, 06:33, 18 नवम्बर 2010
{{KKGlobal}}
{{KKRachna|रचनाकार: [[=नागार्जुन]][[Category:कविताएँ]][[Category:|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~}}{{KKCatKavita‎}}<poem>
सुबह-सुबह
 
तालाब के दो फेरे लगाए
 
सुबह-सुबह
 
रात्रि शेष की भीगी दूबों पर
 
नंगे पाँव चहलकदमी की
 
सुबह-सुबह
 
हाथ-पैर ठिठुरे, सुन्न हुए
 
माघ की कड़ी सर्दी के मारे
 
सुबह-सुबह
 
अधसूखी पतइयों का कौड़ा तापा
 
आम के कच्चे पत्तों का
 
जलता, कड़ुवा कसैला सौरभ लिया
 
सुबह-सुबह
 
गँवई अलाव के निकट
 
घेरे में बैठने-बतियाने का सुख लूटा
 
सुबह-सुबह
 
आंचलिक बोलियों का मिक्स्चर
 
कानों की इन कटोरियों में भरकर लौटा
 
सुबह-सुबह
'''1976 में रचित</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,226
edits