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तालाब के दो फेरे लगाए | तालाब के दो फेरे लगाए | ||
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सुबह-सुबह | सुबह-सुबह | ||
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रात्रि शेष की भीगी दूबों पर | रात्रि शेष की भीगी दूबों पर | ||
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नंगे पाँव चहलकदमी की | नंगे पाँव चहलकदमी की | ||
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सुबह-सुबह | सुबह-सुबह | ||
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हाथ-पैर ठिठुरे, सुन्न हुए | हाथ-पैर ठिठुरे, सुन्न हुए | ||
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माघ की कड़ी सर्दी के मारे | माघ की कड़ी सर्दी के मारे | ||
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सुबह-सुबह | सुबह-सुबह | ||
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अधसूखी पतइयों का कौड़ा तापा | अधसूखी पतइयों का कौड़ा तापा | ||
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आम के कच्चे पत्तों का | आम के कच्चे पत्तों का | ||
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जलता, कड़ुवा कसैला सौरभ लिया | जलता, कड़ुवा कसैला सौरभ लिया | ||
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सुबह-सुबह | सुबह-सुबह | ||
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गँवई अलाव के निकट | गँवई अलाव के निकट | ||
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घेरे में बैठने-बतियाने का सुख लूटा | घेरे में बैठने-बतियाने का सुख लूटा | ||
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सुबह-सुबह | सुबह-सुबह | ||
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आंचलिक बोलियों का मिक्स्चर | आंचलिक बोलियों का मिक्स्चर | ||
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कानों की इन कटोरियों में भरकर लौटा | कानों की इन कटोरियों में भरकर लौटा | ||
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सुबह-सुबह | सुबह-सुबह | ||
− | 1976 में रचित | + | '''1976 में रचित |
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12:03, 18 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
सुबह-सुबह
तालाब के दो फेरे लगाए
सुबह-सुबह
रात्रि शेष की भीगी दूबों पर
नंगे पाँव चहलकदमी की
सुबह-सुबह
हाथ-पैर ठिठुरे, सुन्न हुए
माघ की कड़ी सर्दी के मारे
सुबह-सुबह
अधसूखी पतइयों का कौड़ा तापा
आम के कच्चे पत्तों का
जलता, कड़ुवा कसैला सौरभ लिया
सुबह-सुबह
गँवई अलाव के निकट
घेरे में बैठने-बतियाने का सुख लूटा
सुबह-सुबह
आंचलिक बोलियों का मिक्स्चर
कानों की इन कटोरियों में भरकर लौटा
सुबह-सुबह
1976 में रचित