भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रातें हैं उदास दिन कड़े हैं / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Bohra.sankalp (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अहमद फ़राज़ |संग्रह= }} Category:ग़ज़ल <poem> रातें हैं उ…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:15, 20 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
रातें हैं उदास दिन कड़े हैं,
ऐ दिल तेरे हौसले बड़े हैं,
ऐ यादे-हबीब साथ देना,
कुछ मरहले सख़्त आ पड़े हैं,
रूकना हो अगर तो सौ बहाने,
जाना हो तो रास्ते बड़े हैं,
अब किसे बतायें वजहे-गिरीया,
जब आप भी साथ रो पड़े हैं,
अब जाने कहाँ नसीब ले जायें,
घर से तो ‘फ़राज़’ चल पड़े हैं,