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"बताओ कैसे लिख दूं धूप फागुन की नशीली है / अदम गोंडवी" के अवतरणों में अंतर

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21:32, 20 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

घर में ठन्डे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है
बताओ कैसे लिख दूं धूप फागुन की नशीली है

बगावत के कमल खिलते हैं दिल के सूखे दरिया में
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है

सुलगते ज़िस्म की गर्मी का फिर अहसास हो कैसे
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है