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"जो उलझ कर रह गयी है फाइलों के जाल में / अदम गोंडवी" के अवतरणों में अंतर

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21:32, 20 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

जो उलझ कर रह गयी है फाइलों के जाल में
गाँव तक वह रौशनी आएगी कितने साल में

बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गयी
राम सुधि की झौपड़ी सरपंच की चौपाल में

खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए
हम को पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में