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"अपनी अपनी ख़ूबियाँ और ख़ामियाँ भी बाँट लें / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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अपनी अपनी खूबिया और खामिया भी बाट ले
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अपनी अपनी खूबियाँ और ख़ामियाँ भी बाँट लें
शोहरते तो बात ली रुसवाइया भी बाट ले  
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शोहरतें तो बात ली रुसवाइयाँ भी बाट ले  
  
बाट ली आसानिया, दुशवारिया भी बाट ले
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बाँट ली आसानियाँ, दुशवारियाँ भी बाँट लें
आओ अपनी अपनी ज़िम्मेदारिया भी बाट ले
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आओ अपनी- अपनी ज़िम्मेदारियाँ भी बाँट लें
  
बट गया है घर का आगन, खेत सारे बट गए
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बँट गया है घर का आगन, खेत सारे बँट गए
क्यो न अब बन्जर ज़मी और परतिया भी बाट ले
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क्यों न अब बंजर ज़मीं और परतियाँ भी बाँट लें
  
कल अगर मिल बाट के खाए थे तर लुक्मे तो आज
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कल अगर मिल बाँट के खाए थे तर लुक्मे तो आज
आओ हम अपनी ये सूखी रोटिया भी बाट ले
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आओ हम अपनी ये सूखी रोटियाँ भी बाँट लें
  
अपने हिस्से की ज़मी तो दे चुके हमसाए को  
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अपने हिस्से की ज़ंमी तो दे चुके हमसाए को  
अब बताओ क्या हम अपनी वादिया भी बाट ले
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अब बताओ क्या हम अपनी वादिया भी बाँट लें
  
दर्द, आसू, बेकरारी इक तरफ़ ही क्यू रहे
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दर्द, आँसू, बेकरारी इक तरफ़ ही क्यूँ रहे
इश्क मे हम अपनी अपनी पारिया भी बाट ले</poem>
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इश्क़ में हम अपनी अपनी पारियाँ भी बाँट लें</poem>

07:58, 21 नवम्बर 2010 का अवतरण


अपनी अपनी खूबियाँ और ख़ामियाँ भी बाँट लें
शोहरतें तो बात ली रुसवाइयाँ भी बाट ले

बाँट ली आसानियाँ, दुशवारियाँ भी बाँट लें
आओ अपनी- अपनी ज़िम्मेदारियाँ भी बाँट लें

बँट गया है घर का आगन, खेत सारे बँट गए
क्यों न अब बंजर ज़मीं और परतियाँ भी बाँट लें

कल अगर मिल बाँट के खाए थे तर लुक्मे तो आज
आओ हम अपनी ये सूखी रोटियाँ भी बाँट लें

अपने हिस्से की ज़ंमी तो दे चुके हमसाए को
अब बताओ क्या हम अपनी वादिया भी बाँट लें

दर्द, आँसू, बेकरारी इक तरफ़ ही क्यूँ रहे
इश्क़ में हम अपनी अपनी पारियाँ भी बाँट लें