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"मैं चाहता हूँ मैं सचमुच अमीर हो जाऊँ / राजीव भरोल" के अवतरणों में अंतर

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मैं चाहता हूँ मैं सचमुच अमीर हो
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मैं चाहता हूँ मैं सचमुच अमीर हो जाऊँ,

दुआ करो कि मैं इक दिन फ़कीर हो जाऊँ



तेरी हयात में कुछ दख़्ल तो रहे मेरा,

मैं तेरे हाथ की कोई लकीर हो जाऊँ



तू अपने आपसे मुझको अलग न कर पाए

जो मेरे बस में हो तेरा ज़मीर हो जाऊँ.



ये जिंदगी के मसाइल भी

 मेरे हमदम हैं,

मैं तेरी ज़ुल्फ़ का कैसे असीर हो जाऊँ,



ये मुफ़लिसी है जो रखती है राह पर मुझको,

भटक ही जाऊँ, कहीं जो अमीर हो जाऊँ.