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"गली का सूर्यपुत्र / श्रीकांत वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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− | इस कुहरा डूबी, अंधियारी गली में | + | <poem> |
− | भाग्य ने, | + | इस कुहरा डूबी, अंधियारी गली में |
− | मुझे जन्म दिया है | + | भाग्य ने, |
− | जैसे कोई भटकी हुई चील | + | मुझे जन्म दिया है |
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− | इसी गली ने मुझको पोषा है, | + | इसी गली ने मुझको पोषा है, |
− | मोक्कड़ पर | + | मोक्कड़ पर |
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− | मुझ जैसे बौने को, | + | मुझ जैसे बौने को, |
− | सूर्यपुत्र कहकर आशीषा | + | सूर्यपुत्र कहकर आशीषा है । |
− | मैंने इस ममता को, | + | मैंने इस ममता को, |
− | अनुक्षण स्वीकारा | + | अनुक्षण स्वीकारा है । |
− | मेरी जड़, | + | मेरी जड़, |
− | तुझमें है ओ माँ!! तुझ में | + | तुझमें है ओ माँ !! तुझ में है । |
− | रोप नहीं पाएगा | + | रोप नहीं पाएगा |
− | कोई भी मुझे किसी गमले में, | + | कोई भी मुझे किसी गमले में, |
− | मैं तेरी प्रतिभा | + | मैं तेरी प्रतिभा हूँ । |
− | घबरा मत कुहरे | + | घबरा मत कुहरे से । |
− | सूरज के सात चक्रवर्ती अश्वों को कुछ | + | सूरज के सात चक्रवर्ती अश्वों को कुछ |
− | असुरों ने | + | असुरों ने |
− | घेरा | + | घेरा है । |
− | इसीलिए इतना अंधेरा | + | इसीलिए इतना अंधेरा है । |
− | मैं तेरा बौना शिशु | + | मैं तेरा बौना शिशु |
− | मुक्त कर सकूँ शायद | + | मुक्त कर सकूँ शायद |
− | सूरज | + | सूरज को । |
− | घबरा मत! | + | घबरा मत ! |
− | रोप नहीं पाएगा कोई भी मुझे | + | रोप नहीं पाएगा कोई भी मुझे |
− | किसी गमले | + | किसी गमले में । |
− | मैं तेरी प्रतिभा | + | मैं तेरी प्रतिभा हूँ । |
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18:37, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
इस कुहरा डूबी, अंधियारी गली में
भाग्य ने,
मुझे जन्म दिया है
जैसे कोई भटकी हुई चील
हड्डी का टुकड़ा, खाई में छोड़ जाए ।
इसी गली ने मुझको पोषा है,
मोक्कड़ पर
उग आए
मुझ जैसे बौने को,
सूर्यपुत्र कहकर आशीषा है ।
मैंने इस ममता को,
अनुक्षण स्वीकारा है ।
मेरी जड़,
तुझमें है ओ माँ !! तुझ में है ।
रोप नहीं पाएगा
कोई भी मुझे किसी गमले में,
मैं तेरी प्रतिभा हूँ ।
घबरा मत कुहरे से ।
सूरज के सात चक्रवर्ती अश्वों को कुछ
असुरों ने
घेरा है ।
इसीलिए इतना अंधेरा है ।
मैं तेरा बौना शिशु
मुक्त कर सकूँ शायद
सूरज को ।
घबरा मत !
रोप नहीं पाएगा कोई भी मुझे
किसी गमले में ।
मैं तेरी प्रतिभा हूँ ।