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19:03, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
महामहिम!
चोर दरवाज़े से निकल चलिए !
बाहर
हत्यारे हैं !
बहुक़्म आप
खोल दिए मैनें
जेल के दरवाज़े,
तोड़ दिया था
करोड़ वर्षों का सन्नाटा
महामहिम !
डरिए ! निकल चलिए !
किसी की आँखों में
हया नहीं
ईश्वर का भय नहीं
कोई नहीं कहेगा
"धन्यवाद" !
सब के हाथों में
कानून की किताब है
हाथ हिला पूछते हैं,
किसने लिखी थी
यह कानून की किताब ?