भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"महामहिम / श्रीकांत वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीकांत वर्मा }}<poem>महामहिम! चोर दरवाजे से निकल …)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=श्रीकांत वर्मा  
+
|रचनाकार=श्रीकांत वर्मा
}}<poem>महामहिम!
+
|संग्रह=जलसाघर / श्रीकांत वर्मा
चोर दरवाजे से निकल चलिये!
+
}}
 +
{{KKCatKavita‎}}
 +
<poem>
 +
महामहिम!
 +
चोर दरवाज़े से निकल चलिए !
 
बाहर
 
बाहर
हत्यारे हैं!
+
हत्यारे हैं !
बहुक्म आप
+
 
खोल दिये मैनें
+
बहुक़्म आप
जेल के दरवाजे,
+
खोल दिए मैनें
 +
जेल के दरवाज़े,
 
तोड़ दिया था
 
तोड़ दिया था
 
करोड़ वर्षों का सन्नाटा
 
करोड़ वर्षों का सन्नाटा
महामहिम!
+
 
ड़रिये! निकल चलिये!
+
महामहिम !
 +
डरिए ! निकल चलिए !
 
किसी की आँखों में  
 
किसी की आँखों में  
 
हया नहीं
 
हया नहीं
 
ईश्वर का भय नहीं
 
ईश्वर का भय नहीं
 
कोई नहीं कहेगा
 
कोई नहीं कहेगा
"धन्यवाद"!
+
"धन्यवाद" !
सबके हाँथों में
+
 
 +
सब के हाथों में
 
कानून की किताब है
 
कानून की किताब है
हाथ हिला पूछते हैं
+
हाथ हिला पूछते हैं,
 
किसने लिखी थी
 
किसने लिखी थी
यह कानून की किताब?</poem>
+
यह कानून की किताब ?
 +
</poem>

19:03, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

महामहिम!
चोर दरवाज़े से निकल चलिए !
बाहर
हत्यारे हैं !

बहुक़्म आप
खोल दिए मैनें
जेल के दरवाज़े,
तोड़ दिया था
करोड़ वर्षों का सन्नाटा

महामहिम !
डरिए ! निकल चलिए !
किसी की आँखों में
हया नहीं
ईश्वर का भय नहीं
कोई नहीं कहेगा
"धन्यवाद" !

सब के हाथों में
कानून की किताब है
हाथ हिला पूछते हैं,
किसने लिखी थी
यह कानून की किताब ?