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"ट्राय का घोड़ा / श्रीकांत वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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क्यों भाग रहे हैं ?
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क्या कोई उनका पीछा कर रहा है ?
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क्या उनकी ट्रेन छूट रही है ?
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चौथा<br>
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कहाँ जा रहे हैं, वे ?<br>
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'कहीं नहीं जा रहे हैं, वे',
क्यों भाग रहे हैं ?<br>
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मेरे पास खड़ा व्यक्ति कहता है,
क्या कोई उनका पीछा कर रहा है ?<br>
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'वे भाग भी नहीं रहे हैं,
क्या उनकी ट्रेन छूट रही है ?<br>
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कोई उनका पीछा नहीं कर रहा है
मैं अपने बगल के व्यक्ति से पूछता हूँ !<br><br>
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उनकी ट्रेन बहुत पहले छूट चुकी है।'
  
'कहीं नहीं जा रहे हैं, वे',<br>
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'फिर वे क्यों इस तरह गुज़र रहे हैं ?'
मेरे पास खड़ा व्यक्ति कहता है,<br>
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'क्योंकि उन्हे इसी तरह गुज़रना है !'
'वे भाग भी नहीं रहे हैं,<br>
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'कौन हैं, वे ?'
कोई उनका पीछा नहीं कर रहा है<br>
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'घोड़े हैं !'
उनकी ट्रेन बहुत पहले छूट चुकी है।'<br><br>
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'घोड़े ?'
  
'फिर वे क्यों इस तरह गुज़र रहे हैं ?'<br>
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'हाँ, वे घुड़दौड़ में शामिल हैं
'क्योंकि उन्हे इसी तरह गुज़रना है !'<br>
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पहला दस हजार वर्षों में
'कौन हैं, वे ?'<br>
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यहाँ तक पहुँचा है
'घोड़े हैं !'<br>
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दूसरा
'घोड़े ?'<br><br>
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एथेंस से चला था,
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उसे वॉल स्ट्रीट तक पहुँचना है ।
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नेपोलियन का घोड़ा है,
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एल्प्स पर चढ़ता, फिर
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एल्प्स से उतरता है ।
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चौथा बाज़ारू है, जो भी चाहे,
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उस पर दाँव लगा सकता है ।'
  
'हाँ, वे घुड़दौड़ में शामिल हैं।<br>
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यह कहकर मेरे पास खड़ा व्यक्ति
पहला दस हजार वर्षों में<br>
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घोड़ की तरह हिनहिनाता है,
यहाँ तक पहुँचा है।<br>
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अपने दो हाथों को
दूसरा<br>
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अगले दो पैरों की तरह उठा
एथेंस से चला था,<br>
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हवा में थिरकता
उसे वॉल स्ट्रीट तक पहुँचना है।<br>
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फिर सड़क पर सरपट भागता है
तीसरा<br>
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नेपोलियन का घोड़ा है,<br>
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एल्प्स पर चढ़ता, फिर<br>
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एल्प्स से उतरता है।<br>
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चौथा बाज़ारू है, जो भी चाहे,<br>
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उस पर दाँव लगा सकता है।'<br><br>
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यह कहकर मेरे पास खड़ा व्यक्ति<br>
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चकित में दूसरे व्यक्ति से कहता हूँ,
घोड़ की तरह हिनहिनाता है,<br>
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'पागल है !'
अपने दो हाथों को<br>
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'नहीं, वह घोड़ा है।' तमाशबीन कहता है ।
अगले दो पैरों की तरह उठा<br>
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'वह कहाँ जा रहा है ?'
हवा में थिरकता<br>
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'उसे पता नहीं'
फिर सड़क पर सरपट भागता है।<br><br>
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'वह क्यों भाग रहा है ?'
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'उसे पता नहीं'
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वह क्या चाहता है ?'
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'उसे पता नहीं' ।
  
चकित में दूसरे व्यक्ति से कहता हूँ,<br>
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इतना कह हमसफ़र
'पागल है !'<br>
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अपने थैले से ज़ीन निकाल
'नहीं, वह घोड़ा है।' तमाशबीन कहता है।<br>
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मेरी पीठ पर कसता है !
'वह कहाँ जा रहा है ?'<br>
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चीखता हूँ मैं,
'उसे पता नहीं'<br>
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जूझता हूँ मैं,
'वह क्यों भाग रहा है ?'<br>
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गुत्थम गुत्थ, हाँफता हूँ मैं !
'उसे पता नहीं'<br>
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वह क्या चाहता है ?'<br>
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'उसे पता नहीं'।<br><br>
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इतना कह हमसफ़र<br>
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मेरी पीठ पर बैठा सवार
अपने थैले से ज़ीन निकाल<br>
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हवा में चाबुक उछाल, मुझसे कहता है--
मेरी पीठ पर कसता है !<br>
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'इसके पहले कि तुम्हें
चीखता हूँ मैं,<br>
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शामिल कर दिया जाय दौड़ में,
जूझता हूँ मैं,<br>
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मैं चाहता हूँ,
गुत्थम गुत्थ, हाँफता हूँ मैं !<br><br>
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तुम ख़ुद से पूछो, तुम कौन हो ?'
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'मैं दावे से कह सकता हूँ, मनुष्य हूँ ।'
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'नहीं, तुम काठ हो !
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तुम्हारे अंदर दस हज़ार घोड़े हैं,
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सौ हजार सैनिक हैं,
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तुम छद्म हो ।
  
मेरी पीठ पर बैठा सवार<br>
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जितनी बार पैदा हुए हो तुम,
हवा में चाबुक उछाल, मुझसे कहता है--<br>
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उतनी बार मारे गये हो !
'इसके पहले कि तुम्हें<br>
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तुम अमर नहीं,
शामिल कर दिया जाय दौड़ में,<br>
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इच्छा अमर है, संक्रामक है ।
मैं चाहता हूँ,<br>
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बोलो, क्या चाहते हो ?' मुझसे
तुम खुद से पूछो, तुम कौन हो ?'<br>
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पूछता है, सवार ।
'मैं दावे से कह सकता हूँ, मनुष्य हूँ।'<br>
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'नहीं, तुम काठ हो !<br>
+
तुम्हारे अंदर दस हजार घोड़े हैं,<br>
+
सौ हजार सैनिक हैं,<br>
+
तुम छद्म हो।<br>
+
  
जितनी बार पैदा हुए हो तुम,<br>
+
अपने दो हाथों को अगले दो पैरों की तरह
उतनी बार मारे गये हो !<br>
+
उठा,
तुम अमर नहीं,<br>
+
पूँछ का गुच्छा हिलाता,
इच्छा अमर है, संक्रामक है।<br>
+
कहे जाता हूँ मै,
बोलो, क्या चाहते हो ?' मुझसे<br>
+
'मैं दस हजार वर्षों तक चलना
पूछता है, सवार <br><br>
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चाहता हूँ,
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मैं एथेंस से चलकर
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वॉल स्ट्रीट तक पहुँचना चाहता हूँ,
 +
मैं एल्प्स पर चढ़ना
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फिर एल्प्स से उतरना चाहता हूँ,
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मैं, जो चाहे, उसके,
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दाँव पर लगना चाहता हूँ '
  
अपने दो हाथों को अगले दो पैरों की तरह <br>
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उमंग में भरा हूआ मैं, यह भी नहीं पूछता,
उठा,<br>
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अगला पड़ाव
पूँछ का गुच्छा हिलाता,<br>
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कितनी दूर है ?  
कहे जाता हूँ मै,<br>
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हैं भी, या नहीं हैं ?
'मैं दस हजार वर्षों तक चलना<br>
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चाहता हूँ,<br>
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मैं एथेंस से चलकर<br>
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वॉल स्ट्रीट तक पहूँचना चाहता हूँ,<br>
+
मैं एल्प्स पर चढ़ना<br>
+
फिर एल्प्स से उतरना चाहता हूँ,<br>
+
मैं, जो चाहे, उसके,<br>
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दाँव पर लगना चाहता हूँ।'<br><br>
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उमंग में भरा हूआ मैं, यह भी नहीं पूछता,<br>
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अगला पड़ाव<br>
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कितनी दूर है ? <br>
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हैं भी, या नहीं हैं ?<br>
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19:13, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

पहला बड़ी तेज़ी से गुज़रता है,
दूसरा बगटूट भागता है--
उसे दम मारने की
फुर्सत नहीं,
तीसरा बिजली की तरह गुज़र जाता है,
चौथा
सुपरसौनिक स्पीड से !

कहाँ जा रहे हैं, वे ?
क्यों भाग रहे हैं ?
क्या कोई उनका पीछा कर रहा है ?
क्या उनकी ट्रेन छूट रही है ?
मैं अपने बगल के व्यक्ति से पूछता हूँ !

'कहीं नहीं जा रहे हैं, वे',
मेरे पास खड़ा व्यक्ति कहता है,
'वे भाग भी नहीं रहे हैं,
कोई उनका पीछा नहीं कर रहा है
उनकी ट्रेन बहुत पहले छूट चुकी है।'

'फिर वे क्यों इस तरह गुज़र रहे हैं ?'
'क्योंकि उन्हे इसी तरह गुज़रना है !'
'कौन हैं, वे ?'
'घोड़े हैं !'
'घोड़े ?'

'हाँ, वे घुड़दौड़ में शामिल हैं ।
पहला दस हजार वर्षों में
यहाँ तक पहुँचा है ।
दूसरा
एथेंस से चला था,
उसे वॉल स्ट्रीट तक पहुँचना है ।
तीसरा
नेपोलियन का घोड़ा है,
एल्प्स पर चढ़ता, फिर
एल्प्स से उतरता है ।
चौथा बाज़ारू है, जो भी चाहे,
उस पर दाँव लगा सकता है ।'

यह कहकर मेरे पास खड़ा व्यक्ति
घोड़ की तरह हिनहिनाता है,
अपने दो हाथों को
अगले दो पैरों की तरह उठा
हवा में थिरकता
फिर सड़क पर सरपट भागता है ।

चकित में दूसरे व्यक्ति से कहता हूँ,
'पागल है !'
'नहीं, वह घोड़ा है।' तमाशबीन कहता है ।
'वह कहाँ जा रहा है ?'
'उसे पता नहीं'
'वह क्यों भाग रहा है ?'
'उसे पता नहीं'
वह क्या चाहता है ?'
'उसे पता नहीं' ।

इतना कह हमसफ़र
अपने थैले से ज़ीन निकाल
मेरी पीठ पर कसता है !
चीखता हूँ मैं,
जूझता हूँ मैं,
गुत्थम गुत्थ, हाँफता हूँ मैं !

मेरी पीठ पर बैठा सवार
हवा में चाबुक उछाल, मुझसे कहता है--
'इसके पहले कि तुम्हें
शामिल कर दिया जाय दौड़ में,
मैं चाहता हूँ,
तुम ख़ुद से पूछो, तुम कौन हो ?'
'मैं दावे से कह सकता हूँ, मनुष्य हूँ ।'
'नहीं, तुम काठ हो !
तुम्हारे अंदर दस हज़ार घोड़े हैं,
सौ हजार सैनिक हैं,
तुम छद्म हो ।

जितनी बार पैदा हुए हो तुम,
उतनी बार मारे गये हो !
तुम अमर नहीं,
इच्छा अमर है, संक्रामक है ।
बोलो, क्या चाहते हो ?' मुझसे
पूछता है, सवार ।

अपने दो हाथों को अगले दो पैरों की तरह
उठा,
पूँछ का गुच्छा हिलाता,
कहे जाता हूँ मै,
'मैं दस हजार वर्षों तक चलना
चाहता हूँ,
मैं एथेंस से चलकर
वॉल स्ट्रीट तक पहुँचना चाहता हूँ,
मैं एल्प्स पर चढ़ना
फिर एल्प्स से उतरना चाहता हूँ,
मैं, जो चाहे, उसके,
दाँव पर लगना चाहता हूँ ।'

उमंग में भरा हूआ मैं, यह भी नहीं पूछता,
अगला पड़ाव
कितनी दूर है ?
हैं भी, या नहीं हैं ?