भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओमप्रकाश यती }} {{KKCatGhazal‎}}‎ <poem> कुछ खट्टा कुछ मीठा ले…)
 
छो
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
<poem>
 
<poem>
 
कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया।
 
कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया।
अनुभव कैसा-कैसा लेकर घर आया।
+
मैं अनुभव जीवन का लेकर घर आया।
  
 
खेल-खिलौने भूल गया सब मेले में
 
खेल-खिलौने भूल गया सब मेले में

20:21, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया।
मैं अनुभव जीवन का लेकर घर आया।

खेल-खिलौने भूल गया सब मेले में
वो दादी का चिमटा लेकर घर आया।

होमवर्क का बोझ अभी भी सर पर है
जैसे तैसे बस्ता लेकर घर आया।

उसको उसके हिस्से का आदर देना
जो बेटी का रिश्ता लेकर घर आया।

कौन उसूलों के पीछे भूखों मरता
वो भी अपना हिस्सा लेकर घर आया।