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"नज़र में आजतक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर
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नज़र में आजतक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला | नज़र में आजतक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला | ||
− | तेरे चेहरे के | + | तेरे चेहरे के अन्दर दूसरा चेहरा नहीं निकला |
− | + | कहीं मैं डूबने से बच न जाऊं, सोचकर ऐसा | |
− | + | मेरे नज़दीक से होकर कोई तिनका नहीं निकला | |
− | ज़रा सी बात थी और | + | ज़रा सी बात थी और कशमकश ऐसी कि मत पूछो |
− | भिखारी मुड़ | + | भिखारी मुड़ गया पर जेब से सिक्का नहीं निकला |
सड़क पर चोट खाकर आदमी ही था गिरा लेकिन | सड़क पर चोट खाकर आदमी ही था गिरा लेकिन | ||
गुज़रती भीड़ का उससे कोई रिश्ता नहीं निकला | गुज़रती भीड़ का उससे कोई रिश्ता नहीं निकला | ||
− | जहाँ पर | + | जहाँ पर ज़िन्दगी की, यूँ कहें खैरात बंटती थी |
− | उसी मंदिर से कल देखा | + | उसी मंदिर से कल देखा कोई ज़िन्दा नहीं निकला |
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20:44, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
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नज़र में आजतक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला
तेरे चेहरे के अन्दर दूसरा चेहरा नहीं निकला
कहीं मैं डूबने से बच न जाऊं, सोचकर ऐसा
मेरे नज़दीक से होकर कोई तिनका नहीं निकला
ज़रा सी बात थी और कशमकश ऐसी कि मत पूछो
भिखारी मुड़ गया पर जेब से सिक्का नहीं निकला
सड़क पर चोट खाकर आदमी ही था गिरा लेकिन
गुज़रती भीड़ का उससे कोई रिश्ता नहीं निकला
जहाँ पर ज़िन्दगी की, यूँ कहें खैरात बंटती थी
उसी मंदिर से कल देखा कोई ज़िन्दा नहीं निकला