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"नदी कानून की, शातिर शिकारी तैर जाता है / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर

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यहाँ पर डूबता हल्का है भारी तैर जाता है।
 
यहाँ पर डूबता हल्का है भारी तैर जाता है।
  
उसे कब नाव की, पतवार की दरकार होती है
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ज़रूरत नाव की,पतवार की है ही नहीं उसको
 
निभानी है जिसे लहरों से यारी, तैर जाता है।
 
निभानी है जिसे लहरों से यारी, तैर जाता है।
  

20:46, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण


नदी कानून की, शातिर शिकारी तैर जाता है।
यहाँ पर डूबता हल्का है भारी तैर जाता है।

ज़रूरत नाव की,पतवार की है ही नहीं उसको
निभानी है जिसे लहरों से यारी, तैर जाता है।

बताते हैं कि भवसागर में दौलत की नहीं चलती
वहाँ रह जाते हैं राजा भिखारी तैर जाता है।

समझता है तुम्हारे नाम की महिमा को पत्थर भी
तभी हे राम! मर्ज़ी पर तुम्हारी तैर जाता है।

निकलते हैं जो बच्चे घर से बाहर खेलने को भी
मुहल्ले भर की आँखों में ‘निठारी’ तैर जाता है।